काश- तुम्हारे भी एक बेटी होतीप्यार से उसका नाम रखते ज्योती,सहमी सहमी सिमटी सी-गुलाबी कपड़ों लिपटी
सी-टुकुर टुकुर निहारती,जैसे बेरहम दुनिया को देखना चाहती,उसका हंसना बोलना और मुस्कराना,तुम्हारा प्यार से माथे को सहलाना,गाल चूमकर नाम से बुलाते-गोद में उठाकर सीने से लगाते-तो तुम्हरा दिल खुशियों से नाच उठता,कितनी ठंडक पडती कितना सकून मिलता,नन्हे नन्हे पैरों से चलने की आहटहंसना रोना और उसकी खिलखिलाहट,गोद में उठाकर लोरी सुननाउंगली पकडकर चलना सिखाना,तोतली जबान से कुछ कहने की चाहतसमाज के दोगली बातों से आहात-जैसे कहना चाह रही हो-?बेटे और बेटी में इतना फर्क,इसमें हम बेटियों का क्या कसूरएक बार हमारे पंख लगाकर के देखोखुले आसमान में उड़ाकर के देखो-हम क्या नहीं कर सकती॥?लक्ष्मीबाई, से लेकर मदरटेरसा, तकइंदिरा गांधी,से लेकर कल्पना चावला तकये भी तो किसी की बेटियां थी,बेटियां समाज की धडकन होती हैदो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-घर बसाती हैमाँ बनकर इंसानी रिश्तों कीभावनाओ से जुडना सिखाती है,पर तुमने-?पर जमने से पहले ही काट डालाशरीर में जान-?पड़ने से पहले ही मार डाला,आश्चर्य है.?खुद को खुदा कहने लगे होप्रकृति और ईश्वर सेबड़ा समझने लगे हो,तुम्हारे पास नहीं है ?कोई हमसे बड़ा सबूत,हम बेटियां न होती-?न होता तुम्हारा वजूद......जिन्दगी के हर जशन को अधूरा पाओगे,अगर बेटियों के आगमन से इतना कतराओगे,जीवन का ये अनमोल सुख कैसे पाओगे
सी-टुकुर टुकुर निहारती,जैसे बेरहम दुनिया को देखना चाहती,उसका हंसना बोलना और मुस्कराना,तुम्हारा प्यार से माथे को सहलाना,गाल चूमकर नाम से बुलाते-गोद में उठाकर सीने से लगाते-तो तुम्हरा दिल खुशियों से नाच उठता,कितनी ठंडक पडती कितना सकून मिलता,नन्हे नन्हे पैरों से चलने की आहटहंसना रोना और उसकी खिलखिलाहट,गोद में उठाकर लोरी सुननाउंगली पकडकर चलना सिखाना,तोतली जबान से कुछ कहने की चाहतसमाज के दोगली बातों से आहात-जैसे कहना चाह रही हो-?बेटे और बेटी में इतना फर्क,इसमें हम बेटियों का क्या कसूरएक बार हमारे पंख लगाकर के देखोखुले आसमान में उड़ाकर के देखो-हम क्या नहीं कर सकती॥?लक्ष्मीबाई, से लेकर मदरटेरसा, तकइंदिरा गांधी,से लेकर कल्पना चावला तकये भी तो किसी की बेटियां थी,बेटियां समाज की धडकन होती हैदो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-घर बसाती हैमाँ बनकर इंसानी रिश्तों कीभावनाओ से जुडना सिखाती है,पर तुमने-?पर जमने से पहले ही काट डालाशरीर में जान-?पड़ने से पहले ही मार डाला,आश्चर्य है.?खुद को खुदा कहने लगे होप्रकृति और ईश्वर सेबड़ा समझने लगे हो,तुम्हारे पास नहीं है ?कोई हमसे बड़ा सबूत,हम बेटियां न होती-?न होता तुम्हारा वजूद......जिन्दगी के हर जशन को अधूरा पाओगे,अगर बेटियों के आगमन से इतना कतराओगे,जीवन का ये अनमोल सुख कैसे पाओगे